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Sita with twin children
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रामायण रिसर्च काउंसिल

‘रामायण रिसर्च काउंसिल’, नई दिल्ली में ट्रस्ट के रूप में एक पंजीकृत संस्था है जिसका गठन वर्ष 2020 में हुआ है। संस्था आयकर विभाग अंतर्गत 12A एवं 80G संबद्ध है। काउंसिल संतों के नेतृत्व एवं सानिध्य में ही कार्य करती रही है। काउंसिल का उद्देश्य हमारे देश के सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन करना है। काउंसिल का मानना है कि प्रभु श्रीराम और श्रीभगवती सीताजी का जीवन एक आदर्श प्रेरणा-स्रोत है जिनका अनुसरण कर तथा पदचिन्हों पर चलकर हम अपने जीवन को सफल, सार्थक और अनुशासित बना सकते हैं।
भगवान श्रीराम और माता सीताजी ऐसे विषय हैं जिन पर अध्ययन से किसी परिवार, समाज, राज्य, देश और विश्व में शांति, सद्भाव और सफल सुनीति का विकास संभव हो सकता है। यही वो विषय हैं जिनको हम अपने घर और समाज में जितना प्रसारित करेंगे, हमारे बच्चे उतने संस्कारवान होंगे। हमारा घर और समाज में उतनी ही शांति और उन्नति होगी। प्रभु श्रीरामचंद्रजी ने जहां स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में हर पुरुष को समाज में जीने हेतु मर्यादा सिखाई, वहीं माता सीताजी भारतीय संस्कृति के लिए एक आदर्श नारी की प्रतीक हैं जिनसे विश्व की मातृशक्तियां प्रेरित हो सकती हैं।
जीवन में कितना भी धन कमा लें, सनातन संस्कार में परिवारजनों के द्वारा श्रीराम-नाम का नाम और ध्यान करते ही हमारा जन्म होता है और हमारी अंतिम यात्रा भी श्रीराम-नाम सत्य के साथ ही संपन्न होती है। इसलिए हमारे पूर्वज और घर के बड़े श्रीराम-नाम को महामंत्र और जीवन की पूंजी मानते हैं। केवल श्रीराम का नाम ही साथ जाता है, शेष सब यहीं धरा रह जाता है। काउंसिल का चिंतन है कि यही वे विषय हैं जिनका अधिक से अधिक प्रसार कर हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ जैसी अवधारणा और संरचना को एक नया पंख दे सकते हैं। काउंसिल के परमाध्यक्ष पवनसुत श्रीहनुमान जी महाराज हैं।

कोरोनाकाल के दौरान ‘डिजिटल रामलीला मंचन’-

काउंसिल ने कोरोना काल में सबसे पहले डिजिटल रामलीला की शुरूआत की। उत्तराखण्ड में नैनीताल उधमसिंहनगर से सांसद श्रीमान अजय भट्ट जी के कावेरी अपार्टमेंट (नई दिल्ली में एमपी फ्लैट्स) में हमने बड़ी स्क्रीन लगाकर नवरात्र के नौ दिनों तक डिजिटल रूप से रामलीला मंचन को प्रसारित किया। एक प्रकार से यहीं से रामायण रिसर्च काउंसिल की शुरूआत हुई।

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इससे पहले, श्री कुमार सुशांत एक बड़ी टीम के साथ वर्ष 2018 से अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला के मंदिर संघर्ष के ऊपर एक ग्रंथ- ‘श्रीरामला- मन से मंदिर तक’, को जनमानस में लाने हेतु कार्य कर रहे थे। कोरोनाकाल में श्री सुशांत ने कई सामाजिक एवं सांस्कृतिक विषयों पर कार्य किया। उन्होंने घर बैठकर बच्चे अध्ययन कर सकें, इसके लिए भारत सरकार की कई योजनाओं पर डॉक्यूमेंट्री बनाईं और उनका प्रसार किया, ताकि कोरोनाकाल में घर बैठे लोग केंद्र सरकार की योजनाओं से अवगत होकर लाभ उठा सकें। वर्ष 2020 में एक बड़े उद्देश्य के साथ रामायण रिसर्च काउंसिल को ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत किया गया।

Lord Rama profile
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ग्रंथ ‘श्रीरामलला- मन से मंदिर तक’-

अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला के मंदिर संघर्ष पर आधारित 1250 पृष्ठों का एक ग्रंथ है- ‘श्रीरामलला- मन से मंदिर तक’। इस ग्रंथ में अयोध्या की पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक विषयों को शामिल करने के साथ 250 से अधिक महानुभावों के सकारात्मक विचारों को सम्मिलित किया गया है।

हिन्दी भाषा में यह ग्रंथ तैयार हो चुका है। 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में इसके अनुवाद पर कार्य चल रहा है। 21 देशों में इसका विमोचन करना है तथा संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों में इसका डिजिटल रूप से प्रसार करना है।

कोरोनाकाल के बाद श्री सुशांत अपनी टीम के साथ ग्रंथ- ‘श्रीरामला- मन से मंदिर तक’ पर कार्य करते रहे। 31 अगस्त 2021 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने श्री कुमार सुशांत को मिलने का समय दिया। रामायण रिसर्च काउंसिल के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के श्री अजय भट्ट जी ने मा. प्रधानमंत्री जी के समक्ष अपने विषय को सुंदर स्वरूप में प्रस्तुत किया। श्री सुशांत ने ग्रंथ के पूरे विषय से मा. प्रधानमंत्री जी को अवगत कराया। मा. प्रधानमंत्री ने पूरे विषय को समझते हुए अपना अमूल्य मार्गदर्शन भी प्रदान किया। ग्रंथ लेखन के क्रम में श्री सुशांत को देश के जाने-माने लोकप्रिय संतों का असीम स्नेह भी प्राप्त हुआ। आज हर्ष का विषय है कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर संघर्ष के ऊपर 1250 पृष्ठों का ग्रंथ भी पूर्ण हुआ। आज इस ग्रंथ का हिन्दी के अलावा 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में इसका अनुवाद भी हो रहा है। ग्रंथ का 21 से अधिक देशों में विमोचन किया जाना है तथा संयुक्त राष्ट्र के कई देशों में डिजिटल रूप से प्रसार होना प्रस्तावित है। ग्रंथ में अयोध्या की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महत्ता से लेकर मंदिर-संघर्ष के कानूनी, राजनीतिक, सामाजिक... कई सारे पहलुओं को शामिल किया गया है। ग्रंथ में मां सीताजी एवं प्रभु श्रीराम के मानव-कल्याण संदेशों को विस्तार से शामिल किया गया है। इस ग्रंथ में संकलन एवं शोध-कार्यों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के 250 से अधिक विद्वानों के आलेखों को भी शामिल किया गया है। काउंसिल ने ग्रंथ प्रकाशन समिति गठित कर इसका वैश्विक स्तर पर प्रसार करने का संकल्प लिया है।

छोटे बच्चों में संस्कार के संवर्धन हेतु ‘रामायण मंच’-

काउंसिल ने श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र को विकसित करने हेतु संकल्प लियाः