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  • ‘रामायण मंच’ रामायण रिसर्च काउंसिल (ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत) का एक प्रकल्प है जिसका उद्देश्य हमारे देश के सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन करना है। इसकी आवश्यकता इसलिए आई क्योंकि आज हमारे सामने बहुत बड़ी चुनौती है। चुनौती है, इस डिजिटल और आधुनिक युग में अपने घर के बच्चों को आपत्तिजनक विषयों से बचाने की। एक कटु सत्य है कि बच्चों को स्कूलों में शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन उनमें संस्कार और अनुशासन का लोप होता जा रहा है। उनमें धैर्य की कमी होती जा रही है।
  • ऐसे में छोटे बच्चों को अनुशासन, संस्कार, धैर्य के साथ कुशल विचार, सांस्कृतिक भावना एवं नैतिक ज्ञान के प्रसार हेतु उन्हें काउंसिल के तत्त्वावधान में तैयार ‘आदर्श-जीवन ज्ञान’ से अवगत कराते हैं।
  • डिजिटल रूप से अनुशासन और संस्कारपूर्ण विषयों को हमारे प्रशिक्षक संतों के माध्यम से सिखाने का प्रयत्न करते हैं। इस दौरान श्रीरामचरितमानस की उनकी पसंदीदा चौपाई को उन्हें याद करवाते हैं। बच्चों द्वारा वाचन करते हुए वीडियोज़ को रिकॉर्ड कर उसे ‘रामायण मंच’ नाम के यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से प्रसार करते हैं। ऐसे बच्चों के वीडियो प्रसारित होने से दूसरे बच्चे एवं अभिभावकों में प्रतिस्पर्धी भावना का प्रसार होता है। इससे कई घरों में श्रीरामचरितमानस का घरों में न केवल रखना, बल्कि अध्ययन शुरू होना भी देखा गया है। इसके लिए एक शॉर्ट-टर्म सर्टिफिकेट कोर्स भी प्रारंभ किया जा रहा है।
  • विस्तार से चर्चा करें तो ‘रामायण मंच’ का उद्देश्य है- बच्चों में अनुशासन, संस्कार एवं सांस्कृतिक भावनाओं को बढ़ाना। एक आदर्श जीवन कैसा होना चाहिए, इसका उदाहरण देना और संदर्भ देना श्रीरामचरितमानस का। ऐसे श्लोक व चौपाइ, जिनसे हमें कुछ संदेश मिलता है और जो हमारी लौकिक समस्याओं का भी समाधान करता है, उनके प्रति बच्चों में चेतना जागृत करना। काउंसिल का मानना है कि यही वो पुनीत कार्य और सूत्र हो सकता है जिससे हम आने वाली पीढ़ी को सुसंस्कृत भी कर सकते हैं।
  • प्रारंभ में इस प्रकल्प को वेदांत जी ने जूनियर एंकर की भूमिका प्रदान कर बहुत सारे बच्चों को इस ओर आकर्षित किया। वेदांतजी अपनी सात वर्ष की आयु से ही ‘रामायण मंच’ प्रकल्प के लिए कार्य करते रहे हैं। आज वेदांतजी इन्हीं ‘रामायण मंच’ के लोकप्रिय होकर श्रीहनुमानजी की विशेष कृपा पात्र हुए और हम सब उन्हें वैदेहीनंदन बाल व्यास पंडित वेदांत जी महाराज जी के नाम से जानते हैं।
  • ‘रामायण मंच’ का उद्देश्य है-

  • स्कूली बच्चों में अनुशासन, संस्कार एवं सांस्कृतिक मूल्यों की भावना को बढ़ाते हैं ताकि वो अपने परिवार में, समाज में अच्छा व्यवहार कर सकें तथा आगे चलकर एक अच्छा इंसान बन सकें।
  • श्रीरामचरितमानस के प्रसंगों को डिजिटल रूप में अनोखे रूप से प्रसार के लिए गायन, वादन व नृत्य की प्रतिभा का विकास।
  • नाट्य मंचन, डिजिटल रामायण व छोटे-छोटे प्रसंगः जैसे- केवट-श्रीरामजी संवाद, माता शबरी और श्रीरामजी का संवाद, भगवान श्रीरामजी के द्वारा नागरिकों को संदेश, आदि आधारित विषयों का ज्ञानवर्धक प्रस्तुतीकरण।
  • विद्यालयों तथा शिक्षण संस्थानों को ‘रामायण मंच’ से जोड़कर उनमें सांस्कृतिक चेतना के विकास के साथ श्रीअयोध्याजी में श्रीरामलला मंदिर व अन्य पौराणिक स्थानों का दर्शन तथा श्रीरामजी के जीवन-दर्शन से अवगत कराना।
  • विद्यालयों तथा शिक्षण संस्थानों में समय-समय पर बच्चों के बीच इन्हीं विषयों से संबंधित प्रतियोगिता का आयोजन एवं बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए पुरस्कार आदि प्रदान करना।
  • एक सफल, दायित्ववान, ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण व विभिन्न मानवीय गुणों से विभूषित व्यक्तित्व का निर्माण। आइए, हम सभी ‘रामायण मंच’ में शामिल होकर इस पुनीत कार्य को और अधिक गति प्रदान कर हमारे देश की आने वाली पीढ़ी को एक नई संस्कृतिपूर्ण दिशा दें।